ताजमहल किसने बनवाया था और किसके लिए – Tajmahal Kisne Banwaya Tha

क्‍या आप जानते हैं कि ताजमहल का निर्माण किसने करवाया था, यदि ये आपको नहीं पता और आप इसके बारे में जानना चाहते है तो आइये इसके बारे में आपको हम सम्पूर्ण जानकारी देते हैं कि ताजमहल कब बना, इसे किसने बनवाया था और ताजमहल किसकी याद में बनाया गया था। इसके अलावा कुछ ऐसे प्रश्न जो आपके मन आते है जैसे ताजमहल बनाने में कितना रुपया लगा था? ताजमहल को बनाने में कितने मजदूर लगे थे? और ताजमहल बनाने वाले कारीगर का क्‍या नाम था? इन सभी सवालों के जवाब जानते है।

ताजमहल किसने बनवाया था – Tajmahal Kisne Banwaya Tha

आगरा का ताजमहल को शाह जहाँ ने बनवाया था। शाहजहाँ की बीबी मुमताज के गुजर जाने के पर उनकी याद में यह ताजमहल बनवाया था। ताजमहल, शाह जहाँ की तीसरी बेगम “मुमताज महल” की मजार है। ताजमहल आगरा में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। य‍ह सफेद संगमरमर का बना हुआ मकबरा है। ताजमहल का निर्माण 1683 में पूरा किया गया था पर इसका और काम 10 वर्ष तक और चलता रहा।

क्‍या आप जानते हैं कि ताजमहल को 1983 में यूनेस्को की विश्‍व विरासत स्‍थल के रूप में नामित किया गया था। ताजमहल को बनने में 22 साल लग गये थे। 73 मीटर ऊँचा ताजमहल 17 हेक्‍टेयर में फैला है। ऐसा कहा जाता है कि तब ताजमहल पर दिन में सूर्य का प्रकाश पडता है तब सूर्य की रोशनी में ताजम‍हल अलग अलग समय में कई रंगों में नजर आता है।

ताजम‍हल किसकी याद में बनवाया था 

ऊपर दी गई जानकारी से आप समझ गए होंगें कि ताजमहल किसने बनवाया था। लेकिन क्या आप जानते है कि ताजमहल को शाहजहाँ ने किसकी याद में बनवाया है? यदि नहीं तो कोई बात नहीं है आइये इस लेख में हम जानते हैं कि ताजमहल किसकी याद में बनवाया गया था और क्‍या ताज महल सच में इतना सुंदर है।

ताजमहल शाह जहाँ ने अपनी पत्‍नी मुमताज महल की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी याद में बनवाया था। ताजमहल का नाम उनकी पत्नी के नाम पर ही रखा गया था। शाहजहाँ की 14 संताने थीं और 14 वीं संतान की जन्‍म प्राप्‍ती के समय ही मुमताज की मृत्‍यु हो गई। ताजमहल आगरा में स्थित है। ताजमहल को सात अजूबों में से एक माना जाता है। यह दुनिया का सातवां अजूबा है। ऐसा कहा जाता है कि जब ताजमहल बनकर पूरा हुआ था तो यह देखने में बहुत ही आकर्षक तथा बहुत ही सुंदर लगा तो शाह जहाँ ने ताजमहल बनाने वाले सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे ताकि वे कभी भी आगे चलकर भविष्‍य में इस तरह का दूसरा कोई और ताजमहल न बना सके।

ताजमहल को प्रत्‍येक वर्ष 20 से 40 लाख दर्शक देखने आते है, जिसमें से 20,00,000 से अधिक विदेशी होते हैं। दुनिया में ऐसी कई ईमारतें बनवाई गईं हैं पर ताजमहल के जैसे कोई भी इमारत नहीं है। इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। ताजमहल को प्‍यार का प्रतीक माना जाता है।

ताजमहल कहां है – ताज महल हिस्ट्री इन हिंदी

ताजमहल को प्‍यार का प्रतीक माना जाता है इसके बारे में जितना भी कहा जाए कम है। य‍ह बहुत ही सुंदर है, लोग ऐसा कहते हैं कि यदि कोई चांदनी रात में इसे एक बार देख ले तो वह पूरी जिन्‍दगी भर नहीं भूल पाता क्योंकि ताजमहल का निर्माण उस समय के सबसे बेशकीमती सफ़ेद संगमरमर पत्थर से किया गया था। तो आइये हम आपको बताते हैं कि ताजमहल कहां है और ताज महल हिस्ट्री इन हिंदी में।

ताजमहल आगरा में है, यह यमुना नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। ताजमहल का निर्माण 1630 में शुरू हुआ था। और इसके निर्माण का कार्य करीबन 22 वर्ष में पूरा हुआ है। ताजमहल को खूबसूरती का प्रतीक माना जाता है, ताजमहल को देखने के लिये दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसा माना जाता है कि मुमताज महल और शाहजहाँ की कब्र ताजमहल के निचले हिस्‍से में आमने-सामने बनी हुई है। आगरा का ताजमहल भारत की शान है। इस मकबरे के बारे में एक रहस्‍य यह है कि मकबरे के ऊपर एक छेद है जिसमे से बरसात के समय पर बूंद टपकती है और यह बूंद मुमजात की कब्र पर ही गिरती है। इस बात पर कई रहस्‍यमयी बातें प्रचलित है।

ताजमहल को बनाने में कितने मजदूर लगे थे?

क्या आप जानते है कि ताजमहल को बनाने के लिए कितने मजदूर लगे थे? यदि नहीं तो हम आपको बता दें कि ताजमहल को बनाने के लिए 20,000 मज़दूर लगे थे।जिनमें भारत, फ़ारस और तुर्की के मज़दूर थे।

ताजमहल बनाने में कितना रुपया लगा था?

ताजमहल को देख कर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि इतनी सुंदर ईमारत को बनाने में कितने पैसे लगे होगे तो हम आपको बता दें कि उस समय ताजमहल को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।

ताजमहल बनाने वाले कारीगर का क्‍या नाम था?

क्‍या आप जानते हैं कि ताजमहल को प्‍यार का प्रतीक माना जाता है। ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में उनकी मृत्‍यु के बाद बनवाया था। शाह जहाँ उनसे बहुत प्‍यार करते थे। शाहजहाँ ने ताजमहल को बनाने के लिए कुछ कारीगरों को बुलाया, गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्‍तम्‍बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया था और मीनारों का निर्माण करने के लिये समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलाया था। और इसके अलावा ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल को बनाने के लिए अलग-अलग जगहों से अलग अलग कारीगरों को बुलाया था और इस तरह से सभी कारीगरों ने मिलकर ताजमहल बनाया था।

उस्ताद अहमद लाहौरी, ताजमहल के प्रधान वास्तुकार होने के अधिकारी हैं। यह दावा उनके वंशज लुत्फुल्लह मुहांदी द्वारा लिखित दावे पर आधारित है। शाहजहाँ के दरबार का इतिहास उसकी निर्माण में वैयक्तिक रुचि दर्शाती है। (Source)

जब ताजमहल बनकर तैयार हुआ तो बहुत ही सुन्‍दर लगा तो  शाह जहाँ ने कारीगरों के हाथ कटवा दिये ताकि वह भविष्‍य में इस जैसा और कोई अन्‍य ताजमहल ना बना सकें। क्‍या यह सच है कि शाह जहाँ ने सच में कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे, हाथ कटवाने का मतलब यह था कि ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवाये नहीं थे बल्कि सच यह है कि शाह जहाँ ने कारीगरों से जीवन भर की पगार देकर उन्‍हें आजीवन काम न करने का वादा करवाया गया था ताकि वह लोग उस तरह का कोई और ताजमहल न बना पायें। ताजमहल को बनने में 22 साल समय लगा था।

शाह जहाँ कौन था ?

क्‍या आपको पता है कि शाह जहाँ कौन था, किसका बेटा था। यदि नहीं तो हम अपने इस आर्टिकल के माध्‍यम से आपको शाह जहाँ के बारे में महत्‍वपूर्णं जानकारी देंगे। कि उसने अपने शासन काल में क्‍या क्‍या किया है।

शाहजहाँ जहांगीर का बेटा था। इसका जन्‍म 5 जनवरी 1592 ई. को लाहौर में हुआ था। जो कि जहांगीर के बाद सिंहासन पर बैठा था। शाहजहाँ के बचपन का नाम खुर्रम था। इनके 4 बेटे थे, जिनके नाम – दारा शिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब और मुराद बक्‍श थे। शाह जहाँ की माता का नाम जगत गोसाई था। तथा इनका विवाह आसफ खॉं की पुत्री अरजुमंद बानु बेगम से हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि शाहजहाँ की पत्‍नी की प्रसव पीड़ा के कारण मृत्‍यु हो जाती है। इन्‍हें शाह जहाँ ने मलिक-ए-जमानी की उपाधि दी थी। शाह जहाँ का नाम आशिक के नाम से भी जाना जाता है जिन्‍होंने अपनी बीबी मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था। शाह जहाँ की मृत्‍यु 74 साल की उम्र में हो गई थी।

शाहजहाँ का इतिहास और शासनकाल

शाहजहाँ का शासन काल – 1627 से 1658 तक रहा

जहांगीर की मृत्‍यु के बाद उत्‍तराधिकार की लड़ाई निश्चित थी। नूरजहाँ ने शहरयार को युद्ध के लिए आगाह किया, आसफ खॉं ने खुर्रम को आगरा आने का संदेश भेजा। कुछ समय के लिए आसफ ने खुसरो के बेटे दावर वक्‍श को सम्राट घोषित कर दिया। खुर्रम आगरा पहुंचता है और उसने अपने आप को शाह जहाँ के नाम पर सम्राट घोषित कर दिया।

सैनिक अभियान – शाहजहाँ  बुन्‍देलाओं के विरूद्ध खास अर्थ रखता था। जहांगीर के समय अबुल फजल की हत्‍या करके वीरसिंह बुन्‍देला सम्राट का मनपसन्‍द बन बैठा। उसके बाद उसका बेटा जुझार गद्दी पर बैठा, जुझार और उसके बेटे विक्रमजीत ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। किन्‍तु दोनों मारे गये।

उत्‍तराधिकार की लड़ाई – शाहजहाँ की अचानक बीमारी ने 1657 में उनके 4 बेटों के बीच एक ग्रह युद्ध की शुरूवात की।

शाहजहाँ के कितने बेटे थे

शाहजहॉं के 4 बेटे थे जिसमें पहला बेटे का नाम दारा शिकोह (युवराज), दूसरे बेटे का नाम शुजा (बंगाल का गर्वनर), तीसरे बेटे का नाम औरंगजेब (दक्‍कन का गर्वनर) और चौथे बेटे का नाम मुराद वक्‍श (मालवा और गुजरात का गर्वनर) था।

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